
श्रृंगवेरपुर एक ऐसा ऐतिहासिक स्थान है जो न केवल भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि इसे भगवान श्रीराम के वनवास काल का साक्षी भी माना जाता है। गंगा नदी के किनारे स्थित यह स्थान अपनी प्राचीनता और गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। इस लेख में हम श्रृंगवेरपुर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व के साथ-साथ यहां के दर्शनीय स्थलों और इससे जुड़ी कहानियों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
श्रृंगवेरपुर का ऐतिहासिक परिचय
श्रृंगवेरपुर का नाम महर्षि श्रृंगी ऋषि के नाम पर पड़ा। यह स्थान त्रेतायुग में निषादराज गुह का राज्य था, जो भगवान श्रीराम के प्रिय मित्र और सहयोगी थे। रामायण के अनुसार, जब भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान अयोध्या से निकले, तो वे लक्ष्मण और सीता के साथ श्रृंगवेरपुर पहुंचे। यहीं पर उन्होंने गंगा नदी पार करने के लिए निषादराज गुह की सहायता ली थी। यह स्थान भारतीय इतिहास और संस्कृति में उस भक्ति, मित्रता और सेवा भावना का प्रतीक है, जो निषादराज और श्रीराम के संबंधों में परिलक्षित होती है।